Aditya Hridaya Stotra In Hindi (आदित्य ह्रदय स्तोत्र हिंदी में)

परिचय

Aditya Hridaya Stotra In Hindi

आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra In Hindi) एक हिंदू मंत्र है, यह बहुत ही प्राचीन मंत्र है जिसे भगवान राम को महर्षि अगस्त्य ने रावण के साथ हुए लंका युद्ध के समय रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए बताया था।

यह स्तोत्र सूर्य देव की महिमा बताता है और सूर्यदेव का ही गुणगान करता है और इसे पढ़ने से मनुष्य को आत्मिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है।

आदित्य ह्रदय स्तोत्र की जानकारी

आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra In Hindi) को वाल्मीकि रामायण के युद्धकांड में शामिल किया गया है। आदित्य ह्रदय स्तोत्र में कुल 31 श्लोक होते हैं जो सूर्य देव की शक्ति का, उनकी महिमा का और उनके विभिन्न रूपों का वर्णन करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सफलता मिलती है, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कठिन समय में इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को शक्ति मिलती है और इसके (Aditya Hridaya Stotra) श्लोक मनुष्य में आत्मविश्वास का भाव पैदा करते हैं।

आदित्य ह्रदय स्तोत्र की जानकारी

आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra)

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।
उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवानृषिः॥

राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम्।
येन सर्वानरीन्वत्स समरे विजयिष्यसि॥

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।
जयावहं जपेन्नित्यमक्षयं परमं शिवम्॥

सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्।
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्॥

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः।
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः॥

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥

पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः।
वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।
सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥

हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान्।
तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्ड अंशुमान्॥

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खः शिशिरनाशनः॥

व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजुःसामपारगः।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवङ्गमः॥

आतपी मण्डली मृत्युः पिङ्गलः सर्वतापनः।
कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भवः॥

नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते॥

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥

नम उग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमो नमः॥

ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यायादित्यवर्चसे।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः॥

तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे॥

नाशयत्येष वै भूतं तदेव सृजति प्रभुः।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः॥

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्॥

देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः॥

एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव॥

पूजयस्वैनमेकाग्रे देवदेवं जगत्पतिम्।
एतत् त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यति॥

अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि।
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम च यथागतम्॥

एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत् तदा।
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान्॥

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्॥

रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागमत्।
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत्॥

अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमनाः परमं प्रहृष्यमाणः।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति॥

Aditya Hridaya Stotra In Hindi

निष्कर्ष

आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) सूर्य देव की महिमा का गुणगान करने वाला एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल मिलता है और मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करता है। यह स्तोत्र कठिन समय में साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाने में बहुत ही सहायक होता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) कब पढ़ना चाहिए?

उत्तर: आदित्य ह्रदय स्तोत्र को प्रातःकाल सूर्योदय के समय पढ़ना चाहिए, सूर्योदय का समय सबसे अधिक फलदायी होता है।

प्रश्न 2: क्या आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ कौन-कौन कर सकता है?

उत्तर: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ सभी कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय से सम्बन्ध रखते हों।

प्रश्न 3: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से क्या-क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है, स्वास्थ्य लाभ होता है, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह स्तोत्र सभी प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों को दूर कर मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

प्रश्न 4: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ किस विशेष दिन करना चाहिए?

उत्तर: वैसे तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन रविवार को इसका विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। रविवार के दिन इसका पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

प्रश्न 5: क्या आदित्य ह्रदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) का पाठ करने में कोई विशेष विधि का पालन करना चाहिए?

उत्तर: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करते समय हमें स्वच्छता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि संभव हो सके तो सूर्योदय के समय हमें यह पाठ करना चाहिए और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।


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