SMALL THOUGHTS
मन के अनुकूल हो तो हरि कृपा और मन के विपरीत हो तो हरि इच्छा ये समझ लें तो जीवन में आनन्द ही आनन्द है।
मन के अनुकूल हो तो हरि कृपा और मन के विपरीत हो तो हरि इच्छा ये समझ लें तो जीवन में आनन्द ही आनन्द है।
जरूरी नहीं हैं बीमार होने की वजह बीमारी ही हों… कुछ लोग तो दूसरों की खुशियां देखकर भी बीमार हो जाते हैं…!!
शब्द का भी अपना एक स्वाद है, बोलने से पहले खुद चख लीजिए अगर खुद को अच्छा ना लगे तो दूसरों को कैसे अच्छा लगेगा ?
खुश रहना है तो जिंदगी के फैसले अपनी परिस्थिति देखकर लें, दुनिया को देखकर लिये गये फैसले अक्सर दुःख ही देते है …
दिल में उतरना और दिल से उतरना सिर्फ हमारे व्यवहार पर निर्भर करता है ।